Delhi markets lose charm as election code creates cash concerns for traders

चुनाव का ऐलान और सन्नाटे में दिल्ली के बाजार, कारोबारियों में कैश को लेकर खौफ!

Delhi markets lose charm as election code creates cash concerns for traders

Delhi markets lose charm as election code creates cash concerns for traders

नई दिल्ली, 10 जनवरी: Delhi Elections 2025: दिल्ली में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद से होलसेल बाजारों की रौनक फीकी पड़ गई है। चुनाव की तारीख घोषित होते ही राजधानी में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है, जिसके चलते व्यापारियों पर कैश ले जाने को लेकर पाबंदियां लग गई हैं।

करोल बाग, सदर बाजार, कश्मीरी गेट और गांधी नगर जैसे प्रमुख होलसेल बाजारों में खरीदारी करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों कारोबारी आते हैं। लेकिन, चुनावी नियमों के चलते इन बाजारों में कारोबार की रफ्तार धीमी हो गई है।

करोल बाग में भीड़ घटी, व्यापारियों में डर
करोल बाग ट्रेडर्स फेडरेशन के महासचिव सतवंत सिंह ने बताया कि यहां पांच बड़ी होलसेल मार्केट हैं, जहां कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के व्यापारी सामान खरीदने आते हैं। लेकिन पिछले दो दिनों से व्यापारियों की संख्या में भारी गिरावट आई है। उन्होंने बताया कि कारोबारी लाखों रुपये कैश लेकर चलते हैं, लेकिन अब चुनावी नियमों के तहत सीमित कैश की अनुमति है।

सतवंत सिंह ने कहा कि दिल्ली आने वाले कारोबारी इस डर से आना बंद कर रहे हैं कि कहीं उन्हें परेशानी न झेलनी पड़े। इससे मार्केट की बिक्री पर नकारात्मक असर पड़ा है। ट्रेडर्स फेडरेशन ने जल्द ही चुनाव आयोग से मुलाकात कर कारोबारियों को राहत देने की मांग की है।

सदर बाजार की रौनक भी हुई कम
सदर बाजार के व्यापारी देवराज बवेजा ने बताया कि पहले जहां दूर-दराज से बड़ी संख्या में व्यापारी आते थे, अब उनकी संख्या बेहद कम हो गई है। व्यापारी कैश लेकर दिल्ली आने में डर रहे हैं। उनका कहना है कि यह स्थिति चुनाव खत्म होने तक बनी रह सकती है।

व्यापारियों की मांग
व्यापारियों ने चुनाव आयोग से मांग की है कि बाजार में आने वाले व्यापारियों को कम से कम 2 लाख रुपये तक का कैश ले जाने की अनुमति दी जाए। यदि किसी पर संदेह हो, तो जांच की जा सकती है। व्यापारियों को विश्वास दिलाया जाए ताकि दिल्ली की मार्केट्स में फिर से रौनक लौट सके।

चुनावी पाबंदियों के चलते दिल्ली के बाजारों में कारोबार की धीमी गति व्यापारियों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। सभी की नजर अब चुनाव आयोग के अगले कदम पर है।